- 23 August, 2025
पोप ने समूह को पूरे मन से प्रोत्साहन देते हुए कहा कि यह उपलब्धि अंतरराष्ट्रीय मंच पर एक शक्तिशाली प्रतीक है:
“हर समुदाय—चाहे वह कितना भी छोटा और कमजोर क्यों न हो—अपनी पहचान और अधिकारों में शक्तिशाली लोगों द्वारा सम्मानित होना चाहिए। विशेषकर अपनी भूमि पर रहने का अधिकार; किसी को भी जबरन निर्वासन में नहीं भेजा जा सकता।”
उन्होंने इस उपलब्धि को उस गंभीर अन्याय का समाधान बताया, जिसे चागोस के लोगों ने आधी सदी से अधिक समय तक झेला है। उन्होंने ज़बरन विस्थापन से हुई पीड़ा को स्वीकार किया और समुदाय की विशेषकर महिलाओं की दृढ़ता की प्रशंसा की, जिन्होंने शांति से न्याय की लड़ाई लड़ी।
पोप लियो ने मॉरीशस सरकार और अंतरराष्ट्रीय समुदाय से आग्रह किया कि वे चागोस निवासियों की सबसे अच्छे संभव हालात में वापसी सुनिश्चित करें। उन्होंने यह भी भरोसा दिलाया कि स्थानीय कलीसिया उनकी आत्मिक सहायता जारी रखेगी। साथ ही उन्होंने गरीबी, बहिष्कार और अपमान जैसी कठिनाइयों को स्वीकार किया, जिनसे चागोस समुदाय लंबे समय से जूझ रहा है।
चागोस निवासियों को 1960 के दशक के अंत और 1970 के शुरुआती वर्षों में जबरन उनके द्वीपों से निकाला गया, जब इन द्वीपों को अमेरिका को सैन्य अड्डे के लिए पट्टे पर दिया गया था। अधिकतर लोगों को मॉरीशस और सेशेल्स में बसाया गया, जहाँ उन्हें गरीबी और सामाजिक हाशिए पर रहने की कठिनाइयों का सामना करना पड़ा।
चागोस रिफ्यूजीज़ ग्रुप, जिसकी स्थापना 1983 में हुई थी, ने कई दशकों तक लगातार संघर्ष किया ताकि सभी चागोस निवासियों को अपने घर लौटने का अधिकार मिल सके।
✍️ स्रोत: वेटिकन न्यूज़
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