- 22 August, 2025
कलुंगा, ओडिशा, 22 अगस्त 2025 – कटक-भुवनेश्वर महाधर्मप्रांत के प्रसिद्ध कैथोलिक पुरोहित व शिक्षाविद् फादर अजय कुमार सिंह ने कलुंगा स्थित राइज़न क्राइस्ट चर्च के युवाओं को बड़ा सपना देखने और पेशेवर करियर अपनाने के लिए प्रोत्साहित किया। उन्होंने यह संदेश 17 अगस्त को चर्च परिसर में आयोजित एक करियर मार्गदर्शन सत्र के दौरान दिया। यह सत्र दो दिवसीय युवा कार्यक्रम का हिस्सा था, जिसे राउरकेला धर्मप्रांत के अंतर्गत आने वाले इस पल्ली ने आयोजित किया।
फादर सिंह भुवनेश्वर स्थित एक्सीलेंट IAS अकादमी के निदेशक हैं। यह एक कोचिंग संस्थान योग्य छात्रों के लिए सिविल सेवा की तैयारी को किफ़ायती बनाता है। युवाओं से बात करते हुए फादर ने सफलता प्राप्त करने के लिए मेहनत और धैर्य के महत्व पर ज़ोर दिया। उन्होंने युवाओं से कहा कि वे अपने करियर की दिशा में एकाग्र, अनुशासित और दृढ़ निश्चयी बने रहें ताकि वे समाज में सकारात्मक योगदान दे सकें।
दो दिवसीय युवा कार्यक्रम
16 और 17 अगस्त को आयोजित इस दो दिवसीय युवा कार्यक्रम में पल्ली के 230 युवाओं ने भाग लिया।
पहले दिन की शुरुआत एक आध्यात्मिक साधना से हुई, जिसका नेतृत्व फादर विंसेंट कुल्लू, SAC ने किया। उन्होंने चर्च में युवाओं की भूमिका पर प्रकाश डालते हुए उन्हें कलीसिया के मिशन में सार्थक योगदान देने के लिए प्रेरित किया। दिन के अन्य कार्यक्रमों में आराधना , पाप स्वीकार संस्कार के लिए विशेष सत्र और अंत में पवित्र यूखरिस्त शामिल था।
सत्य की शक्ति पर चिंतन
दूसरे दिन, युवाओं ने पल्ली समुदाय के साथ मिलकर फादर अभय कुल्लू, CSsR द्वारा सम्पन्न मिस्सा (Mass) में भाग लिया। अपने प्रवचन में फादर कुल्लू ने सत्य की शक्ति पर विचार करते हुए उस सुसमाचार खंड का उल्लेख किया, जहाँ येसु कहते हैं – “मैं शांति नहीं, बल्कि आग लेके आया हूँ।” उन्होंने युवाओं को स्मरण कराया कि सत्य के पक्ष में खड़ा होना अक्सर चुनौतियों से भरा होता है। उन्होंने उन्हें यह भी प्रेरित किया कि वे अपनी ऊर्जा करियर, परिवार, समाज और चर्च के निर्माण में लगाएँ, बजाय इसके कि वे भटकाव और बुरी लतों में पड़ें।
नई युवा समिति और सांस्कृतिक कार्यक्रम
कार्यक्रम के दौरान आने वाले तीन वर्षों के लिए एक नई पल्ली युवा समिति का गठन भी किया गया। मरकुस रचित सुसमाचार पर आधारित बाइबल प्रश्नोत्तरी में 30 युवाओं ने भाग लिया। इसके बाद सांस्कृतिक प्रस्तुतियाँ हुईं, जिनमें गीत, नृत्य, नाटक और खेल शामिल थे।
कार्यक्रम का समापन धन्यवाद ज्ञापन के साथ हुआ, जिसमें पुरोहितों, आयोजकों, वालंटियरों और सभी प्रतिभागियों के योगदान को सराहा गया, जिसने इस आयोजन को सार्थक और यादगार बना दिया।
लेखक: संतोष डिगल
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