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पोप ने संसार से लालच और संघर्ष से सृष्टि की रक्षा करने का आह्वान किया

वेटिकन सिटी, 2 जुलाई 2025: जब कलीसिया 1 सितंबर 2025 को सृष्टि की देखभाल के लिए प्रार्थना के 10वें विश्व दिवस को मनाने की तैयारी कर रही है, तब पोप लियो 14वें ने एक संदेश जारी कर दुनिया भर के लोगों से जलवायु परिवर्तन, संघर्ष और असमानता के बढ़ते खतरे के बीच पर्यावरणीय और सामाजिक न्याय को अपनाने का आह्वान किया है।


"शांति और आशा के बीज" शीर्षक से यह संदेश 2 जुलाई को प्रकाशित हुआ, जो जुबली वर्ष की आत्मा के साथ गूंजता है। इसमें विश्वासियों से आग्रह किया गया है कि वे “आशा के तीर्थयात्री” और ईश्वर की सृष्टि के रक्षक बनें।


नबी यशायाह के शब्दों को दोहराते हुए, पोप लियो आज की "सूखी और बंजर भूमि" को "फलदायक खेत" में बदलने की कल्पना करते हैं। वे ज़ोर देकर कहते हैं कि बाईबल से प्राप्त यह छवि केवल कविता नहीं है, बल्कि यह पारिस्थितिक और मानवीय संकटों के सामने एक तात्कालिक कार्रवाई का आह्वान है।


पोप फ्रांसिस के प्रेरक पत्र 'लौदातो सी' से व्यापक रूप से उद्धरण देते हुए, जो इस वर्ष अपनी 10वीं वर्षगांठ मना रहा है, पोप लियो लिखते हैं:

“अन्याय, अंतरराष्ट्रीय कानून और लोगों के अधिकारों का उल्लंघन, गहरी असमानताएँ, और इन्हें बढ़ावा देने वाला लालच वनों की कटाई, प्रदूषण और जैव विविधता के नुकसान को जन्म दे रहा है।”


वे पर्यावरणीय विनाश को गरीबों और हाशिए लोगों के शोषण से जोड़ते हैं, विशेष रूप से आदिवासी समुदायों की असमान पीड़ा को उजागर करते हैं। पोप लियो चेतावनी देते हैं कि वैश्विक अर्थव्यवस्था प्रकृति को एक वस्तु के रूप में देखती है, जिससे अमीर और गरीब के बीच की खाई और गहरी हो रही है।


वे दुःख प्रकट करते हैं कि प्रकृति अब "सौदेबाज़ी की वस्तु" बन गई है, जिसे उन नीतियों के अधीन कर दिया गया है जो लाभ को लोगों और धरती से ऊपर रखते हैं। खेतों में बिछे बारूदी सुरंगों से लेकर जल और खनिजों पर संघर्षों तक, वे एक ऐसे संसार की भयावह तस्वीर उजागर करते हैं जहाँ सृष्टि “नियंत्रण और वर्चस्व का रणभूमि” बन गई है।


“ये घाव,” वे कहते हैं, “पाप का परिणाम हैं”, और इसे उस बाईबल के आह्वान से विश्वासघात बताते हैं जिसमें सृष्टि पर शासन करने के बजाय उसे "जोतो और उसकी देखभाल करो" (उत्पत्ति 2:15) कहा गया है।


पोप लियो जोर देते हैं कि पर्यावरणीय न्याय कोई अमूर्त या द्वितीयक विषय नहीं है, बल्कि यह एक आध्यात्मिक और नैतिक कर्तव्य है। वे लिखते हैं:

"विश्वासियों के लिए, ब्रह्मांड येसु मसीह के चेहरे को प्रतिबिंबित करता है, जिनमें सारी सृष्टि की रचना और मुक्ति हुई।" इसलिए धरती की देखभाल केवल एक पारिस्थितिक ज़रूरत नहीं, बल्कि एक गहरी आध्यात्मिक पुकार है।


व्यवहारिक कदमों को प्रोत्साहित करते हुए, पोप कैस्टेल गंडोल्फो में 'बोर्गो लौदातो सी' परियोजना का उल्लेख करते हैं, जहाँ शिक्षा और समुदाय का जीवन पारिस्थितिक मूल्यों से प्रेरित होकर एक न्यायपूर्ण और आशावादी भविष्य की रचना कर रहे हैं।


वे स्वीकार करते हैं कि वास्तविक परिवर्तन में वर्षों लग सकते हैं, लेकिन यह परिवर्तन “निरंतरता, निष्ठा, सहयोग और प्रेम” से ही संभव है।


अपने संदेश का समापन एक प्रार्थना के साथ करते हुए, पोप लियो पवित्र आत्मा के मार्गदर्शन की प्रार्थना करते हैं और आशा व्यक्त करते हैं कि लौदातो सी लोगों को समग्र पारिस्थितिकी को अपनाने के लिए प्रेरित करता रहेगा।


वे लिखते हैं:

“समग्र पारिस्थितिकी को बढ़ती हुई स्वीकृति मिले — और हम न्याय के ऐसे बीज बोएं जो शांति के फल दें।”


साभार: वेटिकन न्यूज़


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