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ख्रीस्तीय युवाओं ने यूरोप की आत्मा को पुनर्स्थापित करने के लिए आध्यात्मिक घोषणापत्र जारी किया

वेटिकन सिटी, 3 जुलाई 2025:

‘यूरोप के ख्रीस्तीय युवाओं का घोषणापत्र’, जो तीर्थयात्राओं और सुसमाचार प्रचार के माध्यम से यूरोप की ईसाई पहचान को पुनर्जीवित करने और नई आशा जगाने की पहल है, मंगलवार को रोम स्थित वेटिकन प्रेस कार्यालय में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में प्रस्तुत किया गया। इस कार्यक्रम में पूरे महाद्वीप से आए वरिष्ठ कलीसियाई अधिकारियों और युवा प्रतिनिधियों ने भाग लिया।


यह आंदोलन धर्मप्रचार के लिए गठित वेटिकन डिकैस्टरी द्वारा प्रचारित व्यापक प्रेरितिक और सुसमाचार अभियान का हिस्सा है और युवाओं द्वारा जुबली वर्ष की तैयारी में शुरू किया गया है। इसकी औपचारिक शुरुआत 1 अगस्त 2025 को रोम के सांता मारिया इन त्रास्तेवरे बासिलिका में घोषणापत्र के उद्घोष के साथ होगी।


मुख्य परियोजना: रोम 2025 - सैंटियागो 2027 - येरुशलम 2033


घोषणापत्र में सम्मिलित प्रमुख योजनाओं में से एक है “रोम 2025 – संत जेम्स का मार्ग (सैंटियागो डी कम्पोस्टेला) 2027 – येरुशलम 2033।” यह एक तीर्थयात्रा परियोजना है, जिसकी शुरुआत रोम से 2025 में होगी और जो 2033 में पवित्र भूमि में समाप्त होगी।


एक आंदोलन जो सभी से संवाद करता है


मंगलवार को आयोजित प्रेस सम्मेलन में वेटिकन प्रेस कार्यालय के निदेशक मत्तेओ ब्रूनी ने स्पष्ट किया कि ख्रीस्तीय युवाओं का घोषणापत्र केवल एक आयोजन नहीं है, बल्कि यह एक आंदोलन है, जिसे पूरे यूरोप के युवाओं के विश्वास को संबोधित करने के लिए शुरू किया गया है — एक विश्वास जो इस महाद्वीप के लिए गहरी प्रासंगिकता रखता है।


स्पेन के पालेंसिया के धर्माध्यक्ष मिकेल गार्सिआंडिया ने इस “उद्भव” (genesis) को महत्वपूर्ण बताते हुए कहा कि इस परियोजना को व्यापक रूप से फैलाने की तत्काल आवश्यकता है, ताकि एक सच्चे ख्रीस्तीय यूरोप का स्वप्न साकार हो सके।


यूरोप के धर्माध्यक्षीय परिषद के महासचिव फादर अंतोनियो अम्मिराती ने पोप फ्रांसिस की बात को दोहराते हुए कहा,

“केवल एक पर्यटक मत बनो, बल्कि तीर्थयात्री की चप्पलें पहन लो।”

उन्होंने इस बात को रेखांकित किया कि आज के युवाओं में आशा की अद्भुत झलक है।


श्रद्धेय ग्राजियानो बोर्गोनोवो ने कहा कि एक तीर्थयात्रा का सार यह है कि,

“हम यात्रा चुनते हैं, क्योंकि मसीह का अनुसरण करना स्थिर नहीं, गतिशील जीवन है।”

वहीं सैंटियागो दे कम्पोस्टेला के महाधर्माध्यक्ष फ्रांसिस्को जोसे प्रिएतो फर्नांडेज़ ने संत जॉन पॉल द्वितीय के शब्दों को उद्धृत करते हुए युवाओं से आग्रह किया कि वे प्रभु की पुकार को सुनें।


युवा जो अर्थ और उद्देश्य की खोज में हैं


अंत में, रोम 25 – सैंटियागो 27 – येरुशलम 33 परियोजना की अंतरराष्ट्रीय समिति के युवा प्रतिनिधि और प्रवक्ता फर्नांडो मोस्कार्दो वेगास ने कहा कि यह घोषणापत्र पूरी तरह उस युवा पीढ़ी की आकांक्षा का परिणाम है, जो अर्थ और उद्देश्य की तलाश में है।


उन्होंने कहा:

“मसीह जीवित हैं, और यदि यूरोप सुनेगा, तो वह अपनी आत्मा को पा सकता है।”

उन्होंने संत अगस्टीन के शब्दों को दोहराते हुए कहा:“हे प्रभु, तूने हमें अपने लिए रचा है, और जब तक हम तुझे न पा लें, हमारा हृदय शांत नहीं होगा।” उन्होंने कहा, यह घोषणापत्र, एक आस्था का आह्वान है, जो उस युवा पीढ़ी से आता है जो कुछ और पाने की खोज करने से नहीं डरती।


उन्होंने निष्कर्ष में कहा कि यह पहल केवल एक अभियान नहीं है, बल्कि एक भविष्यसूचक और प्रेरितिक क्रांति है, जो मसीह की ओर एक गहरे और परिवर्तनकारी वापसी का संकेत देती है। ख्रीस्तीय युवा जानते हैं कि वे माता मरियम के साथ हैं, जिन्होंने निःसंकोच "हाँ" कहा था। इसलिए, “आध्यात्मिक तलवार”, जो यूरोप का प्रतीक बन गई है, अब पुनः स्वर्ग की ओर उठी है — यह दर्शाते हुए कि जैसे मरियम ने “हाँ” कहा, वैसे ही हम भी मसीह की ओर मुड़ सकते हैं और अपने जीवन के खोए हुए टुकड़ों को पा सकते हैं।


लेखक: जनीना एडी

साभार: वेटिकन न्यूज़


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