- 03 July, 2025
वेटिकन सिटी, जुलाई 1 2025: एशिया (एफएबीसी), अफ्रीका (एसईसीएएम), और लैटिन अमेरिका (सीईएलएएम) के कैथोलिक धर्माध्यक्षीय सम्मेलन और परिषदों ने लैटिन अमेरिका के परमधर्मपीठीय आयोग के सहयोग से, जलवायु न्याय और वैश्विक पारिस्थितिक रूपांतरण के लिए एक संयुक्त अपील जारी की है। यह अपील मंगलवार, 1 जुलाई को वेटिकन प्रेस कार्यालय में आयोजित एक प्रेस सम्मेलन के दौरान एक नए दस्तावेज़ के माध्यम से प्रस्तुत की गई, जो इस नवंबर ब्राज़ील में होने वाले संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन सम्मेलन (सीओपी30) की तैयारी का हिस्सा है।
इस दस्तावेज़ का शीर्षक है: “जलवायु न्याय और साझा घर के लिए आह्वान: पारिस्थितिक रूपांतरण, परिवर्तन और झूठे समाधानों का विरोध”, जो पारिस्थितिक क्षरण की तात्कालिकता को रेखांकित करता है और जलवायु न्याय के प्रति कलीसिया की प्रतिबद्धता को दोहराता है। यह विश्वभर के देशों और सरकारों से आग्रह करता है कि वे पोप फ्राँसिस के विश्वप्रसिद्ध धर्मपत्र ‘लौदातो सी’ के अनुरूप समग्र पारिस्थितिकी को बढ़ावा देने के लिए ठोस कदम उठाएं।
इसी दिन पूर्वाह्न में, पोप लियो 14वें ने विभिन्न धर्माध्यक्षीय सम्मेलनों के धर्माध्यक्षों से मुलाकात की, जिन्होंने उन्हें इस दस्तावेज़ की एक प्रति भेंट की।
एक अंतःकरण को जगाने वाली पुकार
“हमारा संदेश आज कूटनीतिक नहीं है, यह पूर्णतः आत्मिक है,” भारत के गोवा और दमन के महाधर्माध्यक्ष एवं एशियाई धर्माध्यक्षीय महासंघ (एफएबीसी) के अध्यक्ष कार्डिनल फेलिप नेरी फेराओं ने प्रेस वार्ता में कहा, “यह उस व्यवस्था के विरुद्ध अंतःकरण को जगाने का आह्वान है, जो सृष्टि को निगलने की धमकी दे रही है, मानो यह पृथ्वी भी एक और बाज़ार में बिकने वाली वस्तु हो,” उन्होंने जोड़ा।
इस प्रेस वार्ता में कार्डिनल फेराओं के साथ थे: कार्डिनल जाइम स्पेंगलर, पोर्तो अलेगरे (ब्राज़ील) के महाधर्माध्यक्ष, ब्राज़ीलियन धर्माध्यक्षीय सम्मेलन (सीएनबीबी) और लैटिन अमेरिकी व कैरिबियन धर्माध्यक्षीय परिषद (सीईएलएएम) के अध्यक्ष;
कार्डिनल फ्रिडोलिन अंबोंगो बेसुंगु, किंशासा (कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य) के महाधर्माध्यक्ष और अफ्रीका व मेडागास्कर के धर्माध्यक्षीय सम्मेलनों के सम्मेलन (एसईसीएएम) के अध्यक्ष; और एमलाइस कूडा, लैटिन अमेरिका के लिए परमधर्मपीठीय आयोग की सचिव।
“एक प्रेषितात्मक और बाहर जाने वाली सिनॉडल कलीसिया के मिशनरी प्रेरितों के रूप में, हम सीओपी30 में शांति स्थापित करने जाएंगे — उन'छोटे-छोटे टुकड़ों में फैले युद्ध' के बीच, जो सृष्टि के विरुद्ध चल रहा है, जहाँ कई लोग मर रहे हैं और यदि हमने अब कार्रवाई नहीं की, तो और लोग मरेंगे,” कूडा ने कहा। “हम यह इसलिए कर रहे हैं क्योंकि, जैसा कि पोप लियो XIV कहते हैं, कलीसिया ‘हमेशा पास रहना चाहती है, विशेषकर उनके जो पीड़ित हैं।’”
अमेज़न से लेकर अफ्रीका तक, कलीसिया अपनी आवाज़ उठा रही है
“मैं वह आवाज़ उठा रहा हूँ जो केवल मेरी नहीं है, बल्कि अमेज़न के लोगों, भूमि के शहीदों—या कहें कि जलवायु के शहीदों—और नदियों के किनारे रहने वाले, आदिवासी, अफ्रीकी मूल के, किसान और शहरी समुदायों की है,” कार्डिनल स्पेंगलर ने लैटिन अमेरिकी दृष्टिकोण से अपने भाषण में कहा। “जीवनशैली, उत्पादन और उपभोग के तरीकों में बदलाव की तत्काल आवश्यकता है।”
उन्होंने “हरित पूंजीवाद”, “संक्रमण अर्थव्यवस्था” जैसे नामों के पीछे छिपे आर्थिक स्वार्थों की आलोचना की, और अमेज़न क्षेत्र में नए तेल कुओं की शुरुआत पर चिंता जताई। उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि कलीसिया “प्रकृति के वित्तीयकरण” जैसी व्यवस्थाओं को अस्वीकार करती है।
इसी तरह, कार्डिनल अंबोंगो ने “अफ्रीकी महाद्वीप की कलीसियाओं की ओर से” बात की, जिसे “शताब्दियों के दोहन, दासता और शोषण” ने गरीब बना दिया है। उन्होंने बताया कि खनिजों के दोहन की दौड़ ने “सशस्त्र समूहों की बढ़ती संख्या” की नींव रखी है और “ऐसी अर्थव्यवस्था की आवश्यकता है जो अफ्रीकी जनसंख्या की बलि देकर दूसरों को समृद्ध न करे।”
“अफ्रीका समूची मानवता के लिए न्याय और शांति से भरे भविष्य में योगदान देना चाहता है,” उन्होंने ज़ोर देकर कहा। “हम कहते हैं बस बहुत हुआ। अब झूठे समाधानों की कोई जगह नहीं; अब उन निर्णयों की कोई जगह नहीं जो जलवायु संकट की अग्रिम पंक्ति में खड़े लोगों को सुने बिना लिए जाते हैं।”
एशियाई महाद्वीप की दृष्टि से
कार्डिनल फेराओं ने बताया, “एशिया में लाखों लोग पहले से ही जलवायु परिवर्तन के विनाशकारी प्रभावों से जूझ रहे हैं: तूफान, जबरन प्रवासन, द्वीपों का डूबना और नदियों का प्रदूषण।” उन्होंने चेतावनी दी कि “झूठे समाधान लगातार आगे बढ़ रहे हैं: जैसे कि मेगा इंफ्रास्ट्रक्चर, ‘स्वच्छ’ ऊर्जा के नाम पर विस्थापन जो मानव गरिमा का सम्मान नहीं करते, और हरित बैटरियों के नाम पर बेमन खनन।”
“समृद्ध देशों को अपनी पारिस्थितिक देन स्वीकार करनी चाहिए और ग्लोबल साउथ को कर्ज़ के जाल में डालना बंद करना चाहिए,” उन्होंने कहा। कलीसिया ऐसे विकल्पों को बढ़ावा देना चाहती है जैसे “शैक्षिक कार्यक्रम”, “नई आर्थिक दिशाएं” और “महिलाओं व लड़कियों का साथ देना”, जो अक्सर सबसे अधिक प्रभावित होती हैं।
पोप फ्राँसिस की विरासत को जीवित रखना
अंत में कार्डिनल माइकल चेर्नी ने बिना पूर्व निर्धारित योजना के बोलते हुए कहा, “यह दस्तावेज़ पोप फ्राँसिस की उस विरासत का अद्भुत उदाहरण है जिसकी उन्होंने अपेक्षा की थी और जिसे पोप लियो XIV भी आगे बढ़ा रहे हैं। मैं इसके लिए आभारी हूँ,” उन्होंने कहा।
साभार: वेटिकन न्यूज़
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