- 26 July, 2025
भुवनेश्वर, 24 जुलाई 2025: ग्रहाम स्टेन्स हत्याकांड (1999) के दोषी और हाल ही में जेल से रिहा हुए महेंद्र हेम्ब्रम ने भारत के राष्ट्रपति को दया याचिका भेजी है। इस याचिका में उन्होंने अपने सह-अभियुक्त रवींद्र कुमार पाल उर्फ दारा सिंह की रिहाई की मांग की है, जो इस दिल दहला देने वाली हत्या का मुख्य आरोपी है।
राष्ट्रपति भवन को भेजे गए पत्र में हेम्ब्रम ने आग्रह किया है कि पिछले 25 वर्षों से जेल में सजा काट रहे दारा सिंह, को माफ़ कर दिया जाए। उन्होंने याचिका में कहा कि जेल में उनके व्यवहार, सोच और जीवनशैली में “गंभीर बदलाव” आया है।
दारा सिंह पर आरोप था कि उन्होंने 21 जनवरी 1999 की रात ओडिशा के कीनझार ज़िले के मनहरपुर गांव में एक वाहन को आग के हवाले कर दिया, जिसमें ऑस्ट्रेलियाई मिशनरी ग्रैहम स्टेन्स और उनके दो बेटे—फिलिप (10) और टिमोथी (7) सो रहे थे। इस निर्मम हमले ने देश ही नहीं, पूरी दुनिया को झकझोर दिया था और यह घटना आज भी ओडिशा के इतिहास का एक काला अध्याय मानी जाती है।
मनहरपुर निवासी महेंद्र हेम्ब्रम को 1999 में गिरफ़्तार किया गया और उम्रकैद की सज़ा सुनाई गई। उन्होंने 16 अप्रैल 2024 को कीनझार जेल से अपनी सजा पूरी कर रिहाई पाई। 2003 में CBI कोर्ट द्वारा 13 लोगों को दोषी ठहराया गया, लेकिन बाद में ओडिशा हाईकोर्ट ने 11 को बरी कर दिया, और केवल हेम्ब्रम और दारा सिंह की सजा को बरकरार रखा।
हालांकि CBI कोर्ट ने दारा सिंह को फांसी की सज़ा दी थी, लेकिन 2005 में हाईकोर्ट ने सज़ा को उम्रकैद में बदल दिया।
हेम्ब्रम की इस दया याचिका ने कीनझार ही नहीं, पूरे राज्य में राजनीतिक और सामाजिक हलचल पैदा कर दी है। जहां कुछ लोग इसे "मानवता के आधार पर की गई पहल" मान रहे हैं, वहीं कई लोग इतने जघन्य सांप्रदायिक अपराध में माफी मांगने को नैतिक और कानूनी रूप से अस्वीकार्य बता रहे हैं।
राष्ट्रपति सचिवालय की ओर से अभी तक इस अपील पर कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है। लेकिन यह याचिका एक बार फिर भारत के सबसे चर्चित और विभाजनकारी अपराधों में से एक की जनस्मृति को ताज़ा कर गई है — एक ऐसा मामला जिसने कभी पूरे देश को झकझोर दिया था और सांप्रदायिक हिंसा पर भारत के कानूनी दृष्टिकोण को प्रभावित किया था।
स्रोत: द पायनियर
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