- 01 August, 2025
नई दिल्ली, 31 जुलाई, 2025 — कॉन्फ्रेंस ऑफ कैथोलिक बिशप्स ऑफ इंडिया (सीसीबीआई) ने देश में अल्पसंख्यकों, विशेषकर ईसाइयों के विरुद्ध बढ़ती हिंसा पर गहरी चिंता व्यक्त की है। जनसंपर्क कार्यालय द्वारा जारी एक प्रेस नोट में, सीसीबीआई ने कैथोलिक बिशप्स कॉन्फ्रेंस ऑफ इंडिया(सीबीसीआई) के हालिया बयान से पूरी तरह सहमति व्यक्त की और "वर्तमान शासन में ईसाइयों पर होने वाले हमलों" पर गहरा दुःख व्यक्त किया।
यूनाइटेड क्रिश्चियन फ़ोरम (यूसीएफ) के आँकड़ों की बात करते हुए, सीसीबीआई ने पिछले एक दशक में ईसाइयों के प्रति हो रही हिंसा में भारी वृद्धि पर प्रकाश डाला। घटनाओं की संख्या 2014 में 127 से बढ़कर 2024 में 834 हो गई, जिसमें 2025 के पहले छह महीनों में ही 378 हमले दर्ज किए गए—औसतन प्रतिदिन दो से अधिक घटनाएँ। 2014 से अब तक कुल 4,694 हमले दर्ज किए गए हैं, जिसके बारे में सीसीबीआई ने कहा कि "यह असहनशीलता(इंटोलरेंस) के संकट को दर्शाता है, जो एक सहनशील लोकतंत्र के रूप में भारत की वैश्विक प्रतिष्ठा को कलंकित करता है।"
छत्तीसगढ़ के दुर्ग रेलवे स्टेशन पर दो कैथोलिक सिस्टरों के साथ हुई हालिया घटना का उल्लेख करते हुए, सीसीबीआई ने सिस्टर लोग के साथ हुए "अमानवीय व्यवहार" की निंदा की और कहा कि उन्हें 18 घंटे तक हिरासत में रखा गया और बाद में झूठे आरोपों में गिरफ्तार करके जेल भेज दिया गया। सेशन कोर्ट ने उनकी ज़मानत याचिका खारिज कर दी, यह कहते हुए कि उसके पास मामले की सुनवाई करने का अधिकार नहीं है और मामले को उच्च न्यायालय को भेज दिया। सीसीबीआई ने कहा कि यह मामला "अनियंत्रित उत्पीड़न" का उदाहरण है।
बयान में फादर अनिल सीएमआई और फादर डोमिनिक पिंटो की गिरफ़्तारियों, ईसाई स्कूलों में सरस्वती पूजा में जबरन शामिल होने, ओडिशा में सामाजिक-आर्थिक बहिष्कार और एक भाजपा विधायक द्वारा पुरोहित वर्ग पर लगाए गए सार्वजनिक इनाम की ओर भी ध्यान आकर्षित किया गया। सीसीबीआई ने कहा कि ये घटनाएँ "राज्य की मिलीभगत और दंड-मुक्ति को रेखांकित करती हैं।"
बयान में इस बात पर ज़ोर दिया गया कि इनमें से कई हमले धर्मांतरण विरोधी क़ानूनों की आड़ में चरमपंथी समूहों द्वारा किए जाते हैं। बयान में कहा गया है कि ऐसी कार्रवाइयाँ मौलिक संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन करती हैं, जिनमें सम्मान का अधिकार, धार्मिक स्वतंत्रता (अनुच्छेद 25) और समानता का अधिकार शामिल है। बयान में चेतावनी दी गई है, "भारत का धर्मनिरपेक्ष स्वरूप कमज़ोर हो रहा है, देश की अंतरराष्ट्रीय प्रतिष्ठा को नुकसान पहुँचा रहा है और बहुसंस्कृतिवाद को ख़तरा पैदा कर रहा है।"
सीसीबीआई ने भारत सरकार से आग्रह किया है कि:
सभी हमलों की निष्पक्ष जाँच की जाए और अपराधियों पर मुकदमा चलाया जाए।
धार्मिक स्वतंत्रता की रक्षा की जाए और भेदभावपूर्ण नीतियों को रोका जाए।
विश्वास बहाल करने के लिए धार्मिक समुदायों के साथ संवाद स्थापित किया जाए।
बयान के अंत में कहा गया, "दुनिया देख रही है कि भारत के लोकतंत्र की परीक्षा हो रही है। हम सरकार से सभी नागरिकों की सुरक्षा के अपने संवैधानिक कर्तव्य का पालन करने का आग्रह करते हैं।"
फादर निगेल बैरेट द्वारा
जनसंपर्क कार्यालय, सीसीबीआई
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