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श्रवण बाधित बच्चों के लिए सेंट माइकल्स स्कूल: हजारीबाग में करुणा की अनोखी विरासत

हजारीबाग (झारखंड), 21 अगस्त 2025 – होली क्रॉस की सिस्टर्स ऑफ मर्सी अपनी सह-संस्थापक ब्लेस्ड मारिया थेरेसा शेरर की 200वीं जयंती मना रही हैं। इसी भावना के साथ हजारीबाग का सेंट माइकल्स स्कूल फॉर द हियरिंग इम्पेयर्ड करुणा और सेवा का प्रतीक बना हुआ है।

1995 में स्थापित यह विद्यालय ब्लेस्ड मारिया थेरेसा के इस संदेश को जीवंत करता है: “हर व्यक्ति के हृदय में छिपे सोने के कण को पहचानो।”

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शिक्षा और उपलब्धियां

यह विद्यालय विशेष रूप से श्रवण बाधित बच्चों के लिए है। यहाँ कक्षा 1 से 10 तक 205 बच्चे पढ़ते हैं, जो बिहार और झारखंड के 11 जिलों से आते हैं। स्थापना के बाद से अब तक 190 बच्चे इस विद्यालय से मैट्रिक की परीक्षा पास कर चुके हैं और 100% रिजल्ट हासिल किया है।

विद्यालय में 115 बच्चों के लिए छात्रावास की सुविधा है। 15 शिक्षक और 8 गैर-शिक्षण कर्मचारी मिलकर बच्चों को सुरक्षित और खुशहाल वातावरण प्रदान करते हैं।


उद्देश्य और मिशन

विद्यालय का उद्देश्य है – विशेष जरूरतों वाले बच्चों को प्यार और समान अवसर देना है ताकि वे आत्मनिर्भर और सम्मानजनक जीवन जी सकें। मिशन है – श्रवण बाधित बच्चों को हिम्मत और आत्मविश्वास के साथ जीवन की चुनौतियों का सामना करने के लिए तैयार करना।


समग्र विकास

पढ़ाई के साथ-साथ बच्चों को पेंटिंग, क्राफ्ट, योग, नृत्य, रंगोली और खेलों में भाग लेने का मौका मिलता है। कई छात्र जिला, राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर पुरस्कार जीत चुके हैं। साथ ही सिलाई, बुनाई, मोमबत्ती बनाना और बागवानी जैसी व्यावसायिक ट्रेनिंग भी दी जाती है।


परिवार और समाज की भूमिका

विद्यालय परिवारों और समाज को भी जागरूक करता है। इसके लिए अर्ली आइडेंटिफिकेशन और पेरेंट ट्रेनिंग प्रोग्राम्स चलाए जाते हैं ताकि माता-पिता बच्चों के विकास में सहयोग कर सकें।


चुनौतियाँ

विद्यालय को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ता है –

  • माता-पिता में सांकेतिक भाषा की कमी
  • समाज में जागरूकता की कमी
  • सरकारी वित्तीय सहयोग की कमी

फिर भी, सिस्टर लोगों का संकल्प है कि वे करुणा और सेवा की भावना के साथ समाज के सबसे कमजोर वर्ग की मदद करती रहेंगी।


निष्कर्ष

सेंट माइकल्स स्कूल आज यह साबित करता है कि हर बच्चे के भीतर एक “सोने का कण” होता है। गुणवत्तापूर्ण शिक्षा और समग्र विकास के माध्यम से यह विद्यालय श्रवण बाधित बच्चों को समाज में अपना योगदान देने के लिए सक्षम बना रहा है।



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