- 07 September, 2025
अल्बानिया में Agnes Gonxha Bojaxhiu के रूप में जन्मी, संत कोलकाता की टेरेसा 20वीं सदी की सबसे उज्ज्वल आध्यात्मिक विभूतियों में से एक मानी जाती हैं। उनका जीवन प्रभु यीशु मसीह के उस क्रांतिकारी संदेश का प्रत्यक्ष प्रमाण है, जिसमें उन्होंने कहा था:
“मेरे इन सबसे छोटे भाइयों-बहनों में से एक के लिए जो कुछ भी किया, वह तुमने मेरे लिए ही किया है।” (मत्ती 25:40)
एक साधारण धर्मबहन से असाधारण करुणा की वैश्विक प्रतीक बनने का उनका सफर, कलीसिया के “गरीबों के लिए विशेष वरीयता” (preferential option for the poor) के सिद्धांत को जीवंत करता है। जुबली वर्ष 2025 हम सब “आशा के तीर्थयात्री” केवल नाम से ही नहीं बल्कि कर्मों से भी बनें—मदर टेरेसा की तरह जीवन को आमजन के लिए खोलें, दरिद्रों की सेवा करें और आशा को ठोस कार्यों के माध्यम से मूर्त रूप दें।
उनकी पवित्र विरासत के आठ स्तंभ
1. बुलाहट के भीतर बुलाहट (Call within the call):
10 सितंबर 1946 को दार्जिलिंग जाते समय ट्रेन में मदर टेरेसा को यीशु मसीह का सीधा निमंत्रण मिला कि वे सबसे गरीब और उपेक्षित लोगों की सेवा करें। उन्होंने लोरेटो कॉन्वेंट का आरामदायक जीवन त्यागकर कोलकाता की झुग्गियों में काम शुरू किया। यह उनके अडिग विश्वास और परमेश्वर की आवाज़ के प्रति आज्ञाकारिता का सजीव उदाहरण है।
2. अवतारी आध्यात्मिकता (Incarnational Spirituality):
मदर टेरेसा का मानना था, “मैं गरीबों में यीशु को देखती हूँ।” यह केवल रूपक नहीं, बल्कि उनकी जीती-जागती आध्यात्मिकता थी। वे प्रतिदिन यूखरिस्त से शक्ति प्राप्त करतीं और गरीबों की सेवा को उसी रहस्य का दूसरा पहलू मानतीं। “आत्मा की अंधेरी रात” के कठिन अनुभव के बावजूद, वे विश्वास में अडिग रहीं। यह हमें सिखाता है कि सच्चा विश्वास भावनाओं से ऊपर होता है।
3. मिशनरीज़ ऑफ चैरिटी की स्थापना:
1950 में उन्होंने संत पापा की अनुमति से Missionaries of Charity की स्थापना की। यह संस्था विशेष रूप से गरीबों की सेवा के लिए समर्पित है और आज 130 से अधिक देशों में कार्यरत है—तपेदिक केंद्रों, वृद्धाश्रमों, अनाथालयों, शिशुभवनों और एड्स क्लीनिकों के माध्यम से। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि पवित्रता केवल धर्मगुरुओं का विशेषाधिकार नहीं, बल्कि हर ईसाई का कर्तव्य है।
4. मानव जीवन की गरिमा:
1979 में नोबेल शांति पुरस्कार ग्रहण करते समय उन्होंने गर्भपात को “शांति का सबसे बड़ा दुश्मन” कहा। उन्होंने नवजात शिशुओं, मरते हुए वयस्कों, कुष्ठ रोगियों और एड्स पीड़ितों की सेवा की, यह दिखाते हुए कि हर जीवन अनमोल है। उनका कार्य कैथोलिक सामाजिक शिक्षा के अनुरूप था।
5. भविष्यद्रष्टा की आवाज़:
मदर टेरेसा ने निडर होकर सत्ता के सामने सच बोला। वे नेताओं को चुनौती देतीं कि वे शासक नहीं, बल्कि सेवक बनें। उनका संदेश धार्मिक सीमाओं से परे था और उन्हें हिंदू, मुस्लिम, नास्तिक और मानवतावादियों से भी सम्मान मिला।
6. कलीसिया का समर्थन:
संत पापा योहन पौल द्वितीय ने 2003 में उन्हें “धन्य” घोषित किया और “अच्छे सामरी की प्रतीक” कहा। 2016 में संत पापा फ्रांसिस ने उन्हें संत घोषित किया और दया का आदर्श बताया। कलीसिया के कई दस्तावेज़ गरीबों के लिए उनके मिशन को उद्धृत करते हैं।
7. समकालीन प्रासंगिकता:
जुबली वर्ष 2025 हमें उनके ठोस करुणामय कार्यों का अनुकरण करने के लिए आमंत्रित करता है। डिजिटल युग में भी, उनकी हाथों से की गई सेवा हमें याद दिलाती है कि सच्ची आशा दूसरों के जीवन को छूने से ही जन्म लेती है।
8. धर्मनिरपेक्ष मान्यता और आलोचना:
यद्यपि उनकी सेवा को वैश्विक सम्मान मिला, कुछ आलोचकों ने उनकी पद्धतियों और वित्तीय पारदर्शिता पर प्रश्न उठाए। फिर भी, सभी ने यह स्वीकार किया कि उन्होंने अमिट समर्पण और असली गरीबी के प्रति वैश्विक जागरूकता जगाने में बड़ा योगदान दिया।
कोलकाता की संत टेरेसा आशा की किरण बनी हुई हैं क्योंकि उन्होंने दिखाया कि साधारण लोग भी प्रेम के सरल और निस्वार्थ कार्यों से असाधारण पवित्रता प्राप्त कर सकते हैं। उनकी विरासत हमें चुनौती देती है कि हम अपने पड़ोसियों, विशेषकर उपेक्षित और गरीबों में, मसीह को देखें।
इस जुबली वर्ष 2025 की यात्रा में वे हमें आमंत्रित करती हैं कि हम “ईश्वर के हाथों में एक पेंसिल” बनें और दूसरों की सेवा के माध्यम से घायल दुनिया पर प्रेम की इबारत लिखें।
चिंतन हेतु प्रश्न:
1. क्या आप अपने जीवन में “सबसे गरीब में यीशु को देखने” का दृष्टिकोण अपनाने का प्रयास करते हैं?
2. मदर टेरेसा की “आत्मा की अंधेरी रात” का अनुभव आपको कठिन आध्यात्मिक समयों में विश्वास पर टिके रहने के बारे में क्या सिखाता है?
3. उनकी सेवा के उदाहरणों को देखते हुए, आप अपने समाज में गरीबों और हाशिए पर रहने वालों के लिए “हाथों से की गई सेवा” द्वारा कैसे योगदान दे सकते हैं?
Fr. Valerian Lobo
Jamshedpur Diocese
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