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हैदराबाद में ईसाइयों ने छत्तीसगढ़ में सिस्टरों की गिरफ्तारी के विरोध में न्याय रैली निकाली

हैदराबाद, 1 अगस्त 2025: हैदराबाद और शमशाबाद के सैकड़ों ईसाइयों ने 30 जुलाई को शांतिपूर्ण प्रदर्शन किया, जिसमें उन्होंने छत्तीसगढ़ में पिछले हफ्ते मानव तस्करी और धर्मांतरण के आरोप में गिरफ्तार की गई दो कैथोलिक सिस्टरों और एक आदिवासी युवक के लिए न्याय की मांग की।


यह रैली ऑल यूनाइटेड क्रिश्चियन कम्युनिटी ऑफ हैदराबाद द्वारा आयोजित की गई थी, जो सेंट फ्रांसिस स्कूल गेट, सिकंदराबाद से शुरू होकर मदर टेरेसा की प्रतिमा तक पहुंची। यह विरोध 25 जुलाई को केरल स्थित कैथोलिक संगठन की सदस्य सिस्टर प्रीति मैरी (45) और सिस्टर वंदना फ्रांसिस (50), तथा नारायणपुर जिले के 19 वर्षीय आदिवासी युवक सुखमन मंडावी की गिरफ्तारी के विरोध में किया गया था। इन तीनों को दुर्ग रेलवे स्टेशन पर बजरंग दल के एक कार्यकर्ता द्वारा दर्ज कराई गई शिकायत के बाद हिरासत में लिया गया था।


प्रशासन का दावा है कि आरोपी तीन आदिवासी लड़कियों को नर्सिंग की नौकरी का झांसा देकर धर्मांतरण कराने की कोशिश कर रहे थे। हालांकि, लड़कियों के परिवारों ने इन आरोपों को सिरे से नकार दिया है और कहा है कि लड़कियां स्वेच्छा से सिस्टर लोग के साथ गई थीं और उन्हें मजबूर नहीं किया गया था। इस घटना की व्यापक आलोचना हो रही है।चर्च इस मामले को अल्पसंख्यकों और मिशनरी कार्यों को निशाना बनाने के लिए धर्मांतरण विरोधी कानूनों के दुरुपयोग के रूप में देख देखते हैं।


हैदराबाद में हुए इस प्रदर्शन में चर्च के कई नेता और लोकधर्मी शामिल हुए, जिनमें शमशाबाद के बिशप अति माननीय मार प्रिंस एंटनी पनेनगाडेन, तेलुगु कैथोलिक बिशप्स काउंसिल के डिप्टी सेक्रेटरी श्रद्धेय फादर राजू एलेक्स, हैदराबाद महाधर्मप्रांत के चांसलर श्रद्धेय फादर विक्टर इमैनुएल, प्रमुख लोकधर्मी लीडर मिस्टर दीपक जॉन, मानवाधिकार कार्यकर्ता और जेसुइट फादर श्रद्धेय फादर स्टैनी एसजे, सिस्टर अल्फोंसा और सिस्टर जेसी कुरियन शामिल थे।


इसके अलावा हैदराबाद महाधर्मप्रांत और शमशाबाद धर्मप्रांत के कई फादर, धार्मिक बहनें, भाई और आम विश्वासी भी मौजूद थे। उन्होंने पोस्टर उठाए और प्रार्थनाएं करते हुए एक स्पष्ट संदेश दिया: "आस्था कोई अपराध नहीं है।"


कार्यक्रम में चर्च नेताओं ने सरकार से निष्पक्ष और स्वतंत्र जांच की मांग की और समाज के हाशिये पर रहने वाले समुदायों के बीच काम करने वालों की सुरक्षा सुनिश्चित करने की अपील की। उन्होंने यह भी आग्रह किया कि धार्मिक अल्पसंख्यकों को निशाना बनाने वाले कानूनों का राजनीतिक दुरुपयोग रोका जाए।


एक सहभागी ने कहा, "यह रैली न्याय के लिए एक प्रार्थनात्मक पुकार है" । "यह केवल तीन लोगों की बात नहीं है—यह हमारे पूरे समुदाय की गरिमा और स्वतंत्रता की बात है।"

यह रैली शांतिपूर्वक समाप्त हुई, जिसमें एक बार फिर भारत में एकता, संवैधानिक सुरक्षा और धार्मिक स्वतंत्रता की मांग दोहराई गई।


लेखिका: मनीषा शेरोन

यूथ सेक्रेटरी




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