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छत्तीसगढ़ में सोशल मीडिया के जरिए धर्मांतरण के आरोपों पर ईसाई समुदाय ने निष्पक्ष जांच की मांग की

रायपुर, 22 जुलाई 2025 — छत्तीसगढ़ के ईसाई लीडरों ने हाल ही में उन आरोपों को सिरे से खारिज किया है, जिनमें कहा गया है कि वे सोशल मीडिया के माध्यम से आदिवासी समुदायों का धर्मांतरण कर रहे हैं। उन्होंने इन आरोपों को एक सुनियोजित साजिश करार देते हुए सरकार से निष्पक्ष और स्वतंत्र जांच की मांग की है।


यह विवाद 16 जुलाई को हिंदी दैनिक ‘स्वदेश’ में प्रकाशित एक रिपोर्ट के बाद खड़ा हुआ, जिसका शीर्षक था — “छत्तीसगढ़ में सोशल मीडिया से धर्मांतरण का नया खेल: ट्राइबल्स को व्हाट्सऐप से बनाया जा रहा है ईसाई।” इस रिपोर्ट में ईसाइयों पर आदिवासी परिवारों के मोबाइल नंबर जुटाने और उन्हें ऑनलाइन माध्यम से धर्मांतरण के लिए निशाना बनाने का आरोप लगाया गया है। साथ ही इसमें यह भी दावा किया गया कि आदिवासी लड़कियों को "लव जिहाद" जैसे षड्यंत्रों में फंसाया जा रहा है।


प्रोग्रेसिव क्रिश्चियन अलायंस के समन्वयक और काउंसिल ऑफ एवैंजेलिकल चर्चेज इन इंडिया के सदस्य पास्टर साइमन डिगबल टांडी ने कैथोलिक कनेक्ट से बातचीत में कहा "ये आरोप पूरी तरह से निराधार हैं," । उन्होंने स्पष्ट किया कि “ये आरोप ईसाइयों के खिलाफ रची गई एक सोची-समझी साजिश का हिस्सा हैं।”


पास्टर टांडी ने आगे बताया, “कोविड के बाद से हमने जूम, गूगल मीट और अन्य ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स पर प्रार्थना सभाएं, आराधना सेवाएं और आध्यात्मिक मेल-जोल के कार्यक्रम चलाना शुरू किया। 2020 से ये प्रथाएं जारी हैं। उन्हें हमारी सोशल मीडिया उपस्थिति खटक रही है — यही उनकी असली मंशा है।”


उन्होंने आरोप लगाया कि दक्षिणपंथी समूह सोशल मीडिया निगरानी के जरिए मसीही समुदाय में सेंध लगाने की कोशिश कर रहे हैं और राष्ट्रवादी विचारधारा को थोपना चाह रहे हैं। “ये लोग हमारे निजता के अधिकार पर भी हमला कर रहे हैं”


स्वदेश रिपोर्ट की जानकारी कैसे मिली? इस पर पास्टर टांडी ने बताया, “एक सामान्य व्हाट्सऐप ग्रुप में यह रिपोर्ट एक मित्र द्वारा साझा की गई। इसके बाद हमने कानूनी कार्रवाई पर चर्चा की। अभी मेमोरेंडम तैयार नहीं किया गया है, लेकिन हम ऐसा करने की योजना बना रहे हैं। यह ईसाई समुदाय के लिए एक बेहद संवेदनशील विषय है।”

पास्टर टांडी का मानना है कि छत्तीसगढ़ की मीडिया एक विभाजनकारी भूमिका निभा रही है। उन्होंने कहा, “हां, यही उनकी मंशा है — लोगों को ईसाई समुदाय के खिलाफ खड़ा करना और हमें ट्विटर व इंस्टाग्राम जैसे प्लेटफॉर्म से दूर रखना।”


इस रिपोर्ट को लेकर व्यापक विरोध सामने आया है। रायपुर के महाधर्माध्यक्ष विक्टर हेनरी ठाकुर ने इसे “चली आ रही बदनाम करने की मुहिम” का हिस्सा बताया और राज्य की भाजपा सरकार पर हिन्दू कार्यकर्ताओं को संरक्षण देने और धार्मिक हमलों के पीड़ितों की उपेक्षा करने का आरोप लगाया। ऑल इंडिया क्रिश्चियन वेलफेयर सोसायटी के पास्टर मोसेस लोगन ने भी इस रिपोर्ट की निंदा करते हुए इसे ईसाई समुदाय को बदनाम करने की एक सोची-समझी चाल बताया।


यूनाइटेड क्रिश्चियन फोरम के अनुसार, छत्तीसगढ़ में 2024 में 165 ईसाई विरोधी घटनाएं दर्ज हुईं, जो पूरे भारत में दूसरा सबसे बड़ा आंकड़ा है। राज्य की कुल जनसंख्या 3 करोड़ है, जिसमें ईसाई केवल 2% हैं।


दुनियाभर के ईसाई समुदाय को संदेश देते हुए पास्टर टांडी ने कहा — “मैं सभी ईसाई भाइयों-बहनों से अपील करता हूं कि वे सतर्क रहें और सोशल मीडिया का सकारात्मक उपयोग करते रहें। साथ ही राज्य सरकार और प्रशासन से आग्रह करता हूं कि इस मामले की निष्पक्ष जांच करें और ईसाई समुदाय के साथ न्याय करें।”

— कैथोलिक कनेक्ट रिपोर्टर



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