- 22 August, 2025
2025 में कलीसिया वैश्विक जुबली वर्ष को “आशा के तीर्थयात्री” विषय के अंतर्गत मना रही है। इस संदर्भ में 22 अगस्त को कलीसिया धन्य कुँवारी मरियम का हमारी महारानी के रुप में पर्व मनाने के लिए आध्यात्मिक प्रेरणा देती है। संत पिता फ्रॉसिस द्वारा प्रस्तुत "नवीन आशा" का संदेश मरियम में पूर्णतः प्रतिबिंबित होता है, जो सांसारिक सत्ता नहीं बल्कि अपनी संपूर्ण आज्ञाकारिता और मातृत्वपूर्ण मध्यस्थता से "महारानी" बनती हैं।
1. मरियम के रानीत्व की धर्मग्रंथ में नींवः बाइबल मरियम के रानीत्व का आधार प्रस्तुत करती है। प्रकाशना ग्रंथ (12:1) उन्हें इस प्रकार चित्रित करता है: "सूर्य से वस्त्र समान ढकी हुई एक स्त्री, जिसके पैरों तले चंद्रमा है और जिसके सिर पर बारह तारों का मुकुट है।” उद्ग्रहण (Annunciation) में मरियम को मसीह की माता के रूप में प्रकट किया जाता है। पुराने व्यवस्थान की परंपरा में "राजमाता" का महत्त्वपूर्ण स्थान था, और उसी परंपरा में मरियम राजाओं के राजा की माता के रूप में रानी हैं। उनका ईश्वरीय महानता का गुणगान (Magnificat) उनके विनम्रता व सेवा-भाव के माध्यम से सच्ची महानता को प्रकाशित करता है। काना के विवाह समारोह में उनका हस्तक्षेप यह दर्शाता है कि वे मानवीय आवश्यकताओं के लिए मध्यस्थता करने वाली माता हैं।
2. ईशमातृत्व के माध्यम से धर्मशास्त्रीय समझः बाइबल मरियम के रानीत्व को उनके ईशमातृत्व से अविभाज्य मानती है। राजाओं के राजा की माता होने के कारण वे अपने पुत्र के राजत्व की गरिमा को साझा करती हैं। साथ ही, वे समस्त विश्वासियों के लिए आत्मिक माता भी हैं। संत थॉमस एक्विनास तथा अनेक धर्मशास्त्रियों ने यह प्रतिपादित किया कि मरियम कलीसिया के राजत्व, पुरोहिताई और पवित्रता की बुलाहट का आदर्श स्वरूप हैं। वे न केवल आदर्श मॉडल हैं, बल्कि विश्वासियों की मध्यस्थ भी हैं।
3. माजिस्टीरियम और संत पिताओं की शिक्षाएँ: 1954 में संत पिता पायस दसवें ने Ad Caeli Reginam नामक विश्वलेख द्वारा मरियम को "स्वर्ग और पृथ्वी की रानी घोषित करते हुए इस पर्व की स्थापना की। द्वितीय वैटिकन महासभा की ल्यूमेन जेंसियम मरियम को इस प्रकार प्रस्तुत करता है: "प्रभु द्वारा सब वस्तुओं पर रानी बनाकर प्रतिष्ठित । संत योहन पौलुस द्वितीय ने मरियम के रानीत्व को सेवा-प्रधान नेतृत्व के रूप में स्पष्ट किया। वहीं, संत पिता फ्रांसिस मरियम को बार-बार "आशा की माता के रूप में प्रस्तुत करते हैं, जो 2025 के जुबली वर्ष की केंद्रीय बिन्दु से पूर्ण सामंजस्य रखता है।
4. समकालीन चुनौतियों में आशा की रानीः सम्पूर्ण उद्धार-इतिहास में मरियम को कठिन और अंधकारपूर्ण समयों में आशा के स्रोत के रूप में पुकारा गया है। प्राचीन ईसाई उत्पीड़न से लेकर आधुनिक युद्धों और संघर्षों तक, वे दुखितों की शरण बनीं। आज भी बीमारी, निराशा और आध्यात्मिक अंधकार से जूझते व्यक्तियों के लिए उनकी मध्यस्थता आशा का दीपक है। शांति की महारानी के रूप में वे विभाजित और संघर्षमय संसार को सच्चा समाधान प्रदान करती हैं। उनका रानीत्व समय और सीमा से परे है तथा मानवता की शाश्वत आवश्यकताओं की पूर्ति करता है।
5. जुबली वर्ष और तीर्थयात्रा का संबंध: 2025 का जुबली विषय "आशा के तीर्थयात्री" मरियम के जीवन में विशेष रूप से परिलक्षित होता है। नाज़रेथ से बेतलेहेम, मिस्र और फिर कलवारी तक उनकी यात्रा एक तीर्थयात्री आत्मा का आदर्श उदाहरण है। वे हर तीर्थयात्री को आत्मिक नवीनीकरण हेतु आवश्यक अनुग्रह की मध्यस्थता प्रदान करती हैं। वे न केवल मार्गदर्शक हैं बल्कि हमारे तीर्थयात्रा का अंतिम गंतव्य भी हैं क्योंकि वे हमें सीधे अपने पुत्र, येसु मसीह तक ले चलती हैं।
6. समकालीन प्रासंगिकता और सामाजिक आयामः आज की अनिश्चित दुनिया में विश्वासियों के लिए मरियम का रानीत्व गहरी प्रासंगिकता रखता है। उनका क्रांतिकारी भजन अन्यायपूर्ण संरचनाओं को चुनौती देता है और दबे-कुचले लोगों के लिए न्याय की पुकार करता है। उनका रानीत्व महिलाओं की मर्यादा और उद्घार-इतिहास में उनकी निर्णायक भूमिका को प्रतिष्ठा प्रदान करता है। सृष्टि की महारानी के रूप में मरियम हमारी "साझा धरती" की रक्षा हेतु हमें प्रेरित करती हैं, जिससे आध्यात्मिक नवीनीकरण पर्यावरणीय उत्तरदायित्व से जुड़ जाता है।
7. मरियम के रानीत्व के अंतर्गत जीवनः मरियम को महारानी मानना हमारे दैनिक ईसाई जीवन को परिवर्तित कर सकता है। रोजरी और अन्य मरियम-भक्ति प्रार्थनाएँ हमें उनकी मध्यस्थता से जोड़ती हैं। उनका जीवन-विश्वास, आशा और प्रेम-हमारे चरित्र निर्माण की मार्गदर्शिका बनता है। उनकी मध्यस्थता से प्राप्त आशा को दूसरों तक पहुँचाना हमें मिशनरी शिष्य बनने का आह्वान करता है। इस प्रकार हम जुबली वर्ष के सन्देश को व्यावहारिक जीवन में जीते हैं।
धन्य कुँवारी मरियम का रानीत्व जुबली वर्ष 2025 में तीर्थयात्रियों के लिए गहन आशा का स्रोत है। उनका राज्याभिषेक प्रेम, दया और मातृत्व से परिपूर्ण है, जो हमें उनके पुत्र की ओर ले जाता है। सच्चा राजत्व सेवा में है, सच्ची शक्ति ईश्वर की इच्छा में समर्पण में है और सच्ची आशा ईश्वरीय कृपा पर भरोसा करने में है। मरियम का मुकुट उनकी पूर्ण आशा और मानवता के लिए अटूट करुणा से गूंथा हुआ है। उन्हें महारानी मानकर हम उनके मातृत्वपूर्ण संरक्षण में प्रवेश करते हैं और आशा के तीर्थयात्रियों के रूप में मसीह में अनन्त जीवन की ओर अग्रसर होते हैं।
चिंतन हेतु प्रश्न
1. इस जुबली वर्ष में मरियम को महारानी के रूप में पहचानना मेरे प्रार्थना-जीवन और ईश्वर से संबंध को कैसे गहरा बना रहा है?
2. मेरे जीवन के किन क्षेत्रों में मुझे विशेष रूप से आशा की महारानी के रूप में मरियम की मध्यस्थता की आवश्यकता है, और किस प्रकार उनका ईश्वर पर भरोसा मुझे कठिनाइयों में विश्वासयोग्य बना सकता है?
3. मैं अपने परिवार, कार्यस्थल और समुदाय में आशा के तीर्थयात्री के रूप में मरियम की सेवक नेतृत्व की आदर्श शैली को कैसे जी सकता/सकती हूँ?
- फादर वेलेरियन लोबो,
जमशेदपुर धर्मप्रान्त।
दैनिक हिंदी ख़बरों और आध्यात्मिक लेखों के लिए कैथोलिक कनेक्ट ऐप डाउनलोड करें:
एंड्राइड के लिये यहाँ क्लिक करें
© 2025 CATHOLIC CONNECT POWERED BY ATCONLINE LLP